पितृ दोष क्या है (what is Pitra dosh)
वस्तुतः मृत्यु दो प्रकार की होती है 1.
सामान्य मृत्यु 2. अकाल मृत्यु। जब व्यक्ति बिना किसी रोग-दुःख के, सुखी
जीवन व्यतीत करते हुए, अपने परिवार के मध्य इस संसार को छोड़ कर चला जाता है
तो हम उसे सामान्य मृत्यु कहतें हैं। परन्तु जिसकी मृत्यु असमय होती है
यथा — सड़क दुर्घटना, लड़ाई-झगड़े के कारण, नदी में डूब जाने से, जहर खाकर,
फांसी लगाकर इत्यादि अन्य अप्राकृतिक कारणों से होती है तो हम उसे अकाल
मृत्यु के श्रेणी में रखते है। घर-परिवार में अकाल मृत्यु का होना पितृ दोष
की ओर संकेत करता है। ऋषि मुनियों के अनुसार अकाल मृत्यु पितृ दोष के कारण
ही होता है।
कहा जाता है कि मोहवश या अकाल मृ्त्यु को
प्राप्त होने के कारण, जीवात्मा को सद्गति नहीं मिलती अथवा मोक्ष की
प्राप्ति नहीं होती बल्कि वे मृ्त्यु-लोक में भटकते रहते है। ये पूर्वज
स्वयं दुखी होने के कारण पितृ् योनि से मुक्त होना चाहते है, परन्तु जब आने
वाली पीढ़ी उन्हें भूला देता है, तो पितृ दोष उत्पन्न होता है। वस्तुतः यही
पितृ दोष है।
पितृ दोष से होने वाले कष्ट
अपने जीवन यात्रा में जातक को अनेक प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते है जिनमें पितृ दोष से होने वाले कष्ट (Trouble from pitra dosh) भी अत्यन्त महत्वपूर्ण है। सम्पूर्ण मानव जाति त्रिविध (आध्यात्मिक, आधिभौतिक, आधिदैविक)
कष्ट भोगता है उनमें मृत पूर्वजों की अतृप्ति के कारण वंशजों को जो कष्ट
होता है वह आध्यात्मिक कारणों से होने वाले कष्टो में से एक है।
पितृ दोष से हमारे सांसारिक जीवन में तथा
आध्यात्मिक साधना में अनेक प्रकार के बाधाएं उत्पन्न होती हैं। कभी-कभी तो
अचानक ही पूरा परिवार समस्याओं से ग्रसित हो जाता है। समस्याओं से मुक्ति
के अनेक उपाय करने के बावजूद भी राहत नहीं मिलती है। सामान्यतः हमें यह
नहीं पता होता है की पितृ दोष से मनुष्यों को अपने दैनिक जीवन में किस-किस
प्रकार के कष्ट भोगने पड़ते हैं। आइये आज हम आपको पितृदोष से आने वाले
कष्टों से परिचय कराते हैं।
जाने ! क्या है पितृ दोष से होने वाले कष्ट (what is the trouble from pitra dosh)
- विवाह का न हो पाना अथवा विवाह होने के बाद वैवाहिक जीवन में क्लेश।
- परिश्रम करने के बाद भी सफलता न मिलना या सफलता में संदेह होना।
- व्यवसाय में हानि होना या उतार-चढ़ाव अधिक होना।
- नौकरी लगने में देर होना अथवा लगने के बाद छूट जाना।
- शादी के बाद गर्भधारण में समस्या, गर्भपात होना तथा संतान से कष्ट होना। मानसिक रूप से विक्षिप्त विकलांग रूप में जन्म लेना।
- बच्चों की अकाल मृत्यु अथवा घर में एक-एक करके अनेक मौत होना।
- सामाजिक तथा पारिवारिक संस्कारों के विरुद्ध कार्य करना।
पुनःयह सोचने के लिए बाध्य होना पड़ता है
कि क्या उपर्युक्त सभी समस्याओं का केवल एक मात्र कारण पितृदोष ही है क्या ?
मेरे अनुसार केवल पितृदोष एक मात्र कारण नहीं हो सकता हाँ यदि प्रारब्ध भी
उपर्युक्त फल को प्रतिष्ठित करता है तो अवश्य ही कहा जा सकता है की
पितृदोष के कारण ऐसा हो रहा है।
पितृ दोष के कारण ही ऐसा हो रहा है अथवा
नहीं इसके निर्धारण के लिए निम्न प्रकार से भी विचार कर लेना चाहिए। क्या
कष्ट निवारणार्थ सभी प्रयास विफल हो गए। क्या डॉक्टर
के इलाज के बावजूद बिमारी ठीक नहीं हो रही है या बिमारी का पता नहीं चल
रहा है इत्यादि। यदि घर के सभी सदस्य किसी न किसी समस्या से एक ही साथ
परेशान है। इसी प्रकार अन्य सभी समस्याओं पर प्रथमतः स्वयं विचार कर लेना
चाहिए तत्पश्चात किसी ज्योतिर्विद अथवा आध्यात्मिक गुरु से परामर्श लेना
चाहिए।