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Wednesday, August 2, 2017

जीवन में काल बन सकता है काल सर्प योग By: आचार्य रामजी मिश्र Published: Wednesday, May 8, 2013, 10:53 [IST] Subscribe to Oneindia Hindi क्‍या आप नौकरी को लेकर बेहद परेशान हैं? क्‍या आप कड़ी मेहनत करते हैं, फिर भी परिणाम अच्‍छे नहीं मिलते? क्‍या आप संतान को लेकर परेशान हैं, या आपको संतान प्राप्ति नहीं हो रही है? यदि ऐसा है, तो अपनी कुंडली खुद देखें, कहीं उसमें काल सर्प योग तो नहीं? अगर है, तो निश्चित तौर पर आप किसी न किसी परेशानी से जरूर जूझते रहेंगे। काल सर्प योग महज कुछ ग्रहों का योग है, जो कुडली में बनता है। नवग्रहों में राहु और केतु दोनों ही छाया ग्रह हैं। ज्‍योतिष की दृष्टि से इनके प्रभाव काफी कम होते हैं। राहु के जन्‍म के नक्षत्र के देवता यम यानी काल हैं और केतु के जन्‍म नक्षत्र आश्‍लेषा के देवता सर्प हैं। राहु के गुण और अवगुण शनि की तरह ही होते हैं। यही कारण है कि यह शनि ग्रह के जैसे ही प्रभाव डालता है। Related Videos योग ने दूर किया सिर दर्द...तस्वीरें दे रही हैं राहत की मिसाल01:10 योग ने दूर किया सिर दर्द...तस्वीरें दे रही हैं राहत की मिसाल अब तक नाराज़ है योगी, विश्व पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम में स्वाति सिंह को किया नज़रअंदाज़02:17 अब तक नाराज़ है योगी, विश्व पर्यावरण दिवस के कार्यक्रम में स्वाति सिंह को किया नज़रअंदाज़ ऐसे करें भगवान् विष्णु की पूजा, होंगी सभी मनोकामनाएँ पूरी02:28 ऐसे करें भगवान् विष्णु की पूजा, होंगी सभी मनोकामनाएँ पूरी इन्‍हीं दोनों ग्रहों के स्‍थान काल सर्प योग बनाते हैं, जिस कारण संतान अवरोध, घर में रोज-रोज कलह, शारीरिक विकलांगता, मानसिक दुर्बलता, नौकरी में परेशानी आदि बनी रहती है। जाने अंजाने में इस दौरान अशुभ कामों के चलते इनके फल काफी कष्‍ट दायक हो जाते हैं। राहु के देवता काल (मृत्‍यु) हैं, इसलिये राहु की शांति के लिये कालसर्प शांति आवश्‍यक है। असल में जब सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में विचरण करते हैं, तब उस योग को काल सर्प योग कहा जाता है। व्‍यक्ति के भाग्‍य का निर्माण करने में राहु और केतु का महत्‍वपूर्ण योगदान रहता है। मेष से लेकर बारह अनंत कालसर्प बनेंगे। राहु सभी राशियों में लगभग 18 वर्षो में अपना गोचर पूर्ण कर लेता है। इस प्रकार 18 वर्षो में 12 प्रकार के 12 राशियों से अलग-2 कालसर्प बनेंगे। ग्रहों के गोचर के अनुसार एक ऐसी स्थिति भी बनती है, जब सभी ग्रह राहु-केतु के ओर होते है और दूसरी स्थिति में दूसरी तरफ होते है। इस प्रकार अनंत कालसर्प योग 12 गुणे 12 गुणे 2 योग 288 हुये। इसी प्रकार अन्य कालसर्प योग 288 प्रकार के ही होगें और पूरी गणना करने पर कालसर्प योगों की संख्या 288 गुणे 12 योग यानि 3456 होगी। यहां पर हम सिर्फ 12 प्रकार के कालसर्प योगों को क्रमानुसार बता रहें है। 1- अनंत कालसर्प योग। 2- कुलिक कालसर्प योग। 3- वासुकि कालसर्प योग। 4- शंखपाल कालसर्प योग। 5- पद्म कालसर्प योग। 6- महापद्म कालसर्प योग। 7- तक्षक कालसर्प योग। 8- कर्कोटक कालसर्प योग। 9- शंखनाद कालसर्प योग। 10-पातक कालसर्प योग। 11- विषाक्त कालसर्प योग। 12- शेषनाग कालसर्प योग। यदि आप जानना चाहते हैं कि आपकी कुंडली में काल सर्प योग है या नहीं। अगर है तो कौन सा है, तो एक कागज पर अपनी कुंडली बनाकर रख लीजिये और नीचे तस्‍वीरों से उनका मिलान करिये- अनंत काल सर्प योग अनंत काल सर्प योग यदि जातक के जन्‍मांग के प्रथम भाव में राहु और सप्‍तम भाव में केतु हो तो अनंत काल सर्प योग होता हे। इसकी वजह से जातक के घर में कलह होती रहती है। परिवार वालों या मित्रों से धोखा मिलने की आशंका हमेशा बनी रहती है। मानसिक रूप से व्‍यक्ति परेशान रहता है, हालांकि ऐसे लोग सिर्फ अपने मन की ही करते हैं। कुलिक काल सर्प योग कुलिक काल सर्प योग यदि जातक के जन्‍मांग के द्वितीय भाव में राहु और अष्‍टम भाव में केतु हो तो यह कुलिक काल सर्प योग होता है। इस वजह से जातक गुप्‍त रोग से जूझता रहता है। इनके शत्रु भी अधिक होते हैं परिवार में परेशानी रहती है और वाणी में कटुता रहती है। वासुकि काल सर्प योग INDvSL: दूसरे टेस्ट में ओपनिंग करेंगे केएल राहुल, कोहली ने किया कन्फर्म रिसॉर्ट में छापा: कांग्रेस विधायक ने कहा- हम यहां पार्टी करने नहीं आए, आस पास घूम रहे बंदूकधारी जन्माष्टमी 2017: पूजा करने का सही मुहूर्त एवं समय Featured Posts वासुकि काल सर्प योग यदि जातक के जन्‍मांग में राहु तृतीय और केतु भाग्‍य भाव यानि 9वें भाव में हो तो वासुकि काल सर्प योग होता है। ऐसे लोगों को भाईयों से कभी सहयोग नहीं मिलता। ऐसे लोगों का स्‍वभाव चिड़चिड़ा होता है। ये लोग कितना भी कष्‍ट क्‍यों न आ जाये, किसी से कहते नहीं। शंखपाल काल सर्प योग शंखपाल काल सर्प योग यदि जातक के जन्‍मांग में मातृ यानि चतुर्थ स्‍थान पर राहु और पितृ यानि 9वें भाव में केतु दोनों हों तो शंखपाल काल सर्प योग माना जाता है। ऐसे लोगों का माता-पिता से हमेशा झगड़ा होता रहता है और परिवार में कलह बनी रहती है। ऐसे लोगों को दोस्‍तों से भी नहीं बनती है। पद्म काल सर्प योग INDvSL: दूसरे टेस्ट में ओपनिंग करेंगे केएल राहुल, कोहली ने किया कन्फर्म रिसॉर्ट में छापा: कांग्रेस विधायक ने कहा- हम यहां पार्टी करने नहीं आए, आस पास घूम रहे बंदूकधारी जन्माष्टमी 2017: पूजा करने का सही मुहूर्त एवं समय Featured Posts पद्म काल सर्प योग जिन लोगों की कुंडली में पांचवें सथान पर राहु और ग्‍यारहवें भाव में केतु हो तो उस स्थिति में पद्म काल सर्प योग होता है। ऐसे लोग बुद्धिमान होते हैं, जमकर मेहनत करते हैं, लोगों से उनका व्‍यवहार काफी अच्‍दा होता है और प्रतिष्ठित पदों तक पहुंचते हैं। लेकिन अनावश्‍यक चीजों को लेकर उनके मान-सम्‍मान को हानि पहुंचना आम बात होती है। एक के बाद एक परेशानियां बनी रहती हैं। इनका पहला पुत्र कष्‍टकारी होता है। शेषनाग काल सर्प योग शेषनाग काल सर्प योग यदि किसी की कुंडली के बारहवें भाव में राहु और छठे भाव में केतु के अंतर्गत सभी ग्रह विद्यमान हों तो शेषनाग काल सर्प योग होता है। ऐसे लोगों के खिलाफ लोग तंत्र-मंत्र का इस्‍तेमाल ज्‍यादा करते हैं। इन्‍हें मानसिक रोग लगने की आशंका ज्‍यादा रहती है। यदि राहु के साथ मंगल है तो इनके सारे शत्रु परस्‍त हो जाते हैं। यानी इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। विदेश यात्रा से लाभ मिलते हैं, लेकिन साझेदारी के व्‍यापार में हानि उठानी पड़ती है। विषाक्‍त काल सर्प योग विषाक्‍त काल सर्प योग यदि व्‍यक्ति की कुंडली के ग्‍यारहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु सभी ग्रहों को समेटे हुए हो तो विषाक्‍त काल सर्प योग होता है। ऐसे लोग अच्‍छी विद्या हासिल करते हैं। इन्‍हें पुत्र की प्राप्ति होती है। ये उदारवादी होते हैं, लेकिन कभी-कभी पारिवारिक कलह का सामना करना पड़ता है। ये कभी भी किसी पर मेहरबान हो सकते हैं। पातक काल सर्प योग पातक काल सर्प योग पातक काल सर्प योग तब बनता है, जब कुंडली के 10वें भाव में राहु और चतुर्थ भाव में केतु हो। ऐसे लोगों के वैवाहिक जीवन में तनाव बना रहता है। पै‍तृक संपत्ति जल्‍दी नहीं मिल पाती है। ऐसे लोग नौकरी या व्‍यापार के लिये हमेशा परेशान रहते हैं। कर्ज भी बहुत जल्‍दी चढ़ जाता है। हृदय और सांस के रोग की परेशानी बनी रहती है। शंखनाद काल सर्प योग शंखनाद काल सर्प योग यदि कुंडली में सातों ग्रहों को लेकर राहु भाग्‍य यानि 4 स्‍थान पर हो और केतु 10 भाव में हो तो यह शंखनाद काल सर्प योग होता है। इसके अंतर्गत भाग्‍य अच्‍छा होते हुए और कड़ी मेहनत के बावजूद मनमाफिक फल नहीं मिलते। ऐसे लोगों के शत्रु गुप्‍त होते हैं। इनमें सहने की शक्ति बहुत होती है और लोग इनका नाजायज फायदा उठाने की कोशिश में रहते हैं। कार्कोटक काल सर्प योग कार्कोटक काल सर्प योग कार्कोटक काल सर्प योग उस स्थिति में बनता है जब कुंडली में 8वें भाव में राहु और द्वितीय भाव में केतु हो। ये दोनों मिलकर सभी ग्रहों को निगलने के प्रयास करते रहते हैं। ऐसे व्‍यक्ति हर छोटी-छोटी चीज के लिये छटपटाते रहते हैं। इन्‍हें खाली बैठना पसंद नहीं होता। जीवन पर्यंत पैसे की चिंता बनी रहती है। ये अपनी इंद्रियों पर काबू नहीं रख पाते हैं और बहुत जल्‍दी शराब आदि का नशा लग जाता है। महापद्म काल सर्प योग महापद्म काल सर्प योग महापद्म काल सर्प योग उ‍स स्थिति में बनता है, जब कुंडली के रोग और शत्रु यानि छठे भाव में राहु और 12वें भाव में केतु सहित सातों ग्रह हों। ऐसे लोग जीवन भर परेशान रहते हैं। मानसिक तनाव बना रहता है। इनके हर काम में कोई न कोई अढ़चन जरूर आती है। तक्षक काल सर्प योग तक्षक काल सर्प योग यदि जन्‍मांग के 7वें भाव में राहु और लग्‍नस्‍थ यानि प्रथम भाव में केतु विद्यमान तक्षक काल सर्प योग बनता है। ऐसे जातक जीवन भर घर परिवार, मान सम्‍मान, धन आदि के लिये जीवन भर संघर्ष करते रहते हैं। ऐसे लोग जिन पर विश्‍वास करते हैं, उनसे धोखा निश्चित तौर पर उठाना पड़ता है। लेकिन यह अपनी परेशानी किसी से कह नहीं पाते हैं।

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